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Friday 26 December 2014

स्त्रियों के यौन उत्तेजना चक्र

स्त्रियों के यौन उत्तेजना चक्र

स्त्रियों के यौन रोगों को भली-भांति समझने के लिए हमें स्त्रियों के प्रजनन तंत्र की संरचना और यौन उत्तेजना चक्र को ठीक से समझना होगा। यौन उत्तेजना चक्र को हम चार अवस्थाओं में बांट सकते हैं।

1. उत्तेजना (Excitement)

2. उत्तेजना की पराकाष्ठा (Plateau)

3. चरम-आनंद (Orgasm)

4. चरम-आनंद के पश्चात उत्तेजना का समापन (Resolution)

1. उत्तेजना (Excitement)
इस अवस्था में कई भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन जैसे योनि स्नेहन या Lubrication (योनि का बर्थोलिन तथा अन्य ग्रंथियों के स्राव से नहा जाना), जननेन्द्रियों में रक्त-संचार बड़ी तेजी से बढ़ता है। संभोग भी शरीर पर एक प्रकार का भौतिक और भावनात्मक आघात ही है और इसके प्रत्युत्तर में रक्तचाप व हृदयगति बढ़ जाती है और सांस तेज चलने लगती है। साथ ही भगशिश्न या Clitoris (यह स्त्रियों में शिश्न का प्रतिरूप माना जाता है ) में रक्त का संचय बढ़ जाने से यह बड़ा दिखाई देने लगता है, योनि सूजन तथा फैलाव के कारण बड़ी और लंबी हो जाती है। स्तन बड़े हो जाते हैं और स्तनाग्र तन कर कड़े हो जाते हैं। उपरोक्त में से कई परिवर्तन अतिशीघ्रता से होते हैं जैसे यौनउत्तेजना के 15 सेकण्ड बाद ही रक्त संचय बढ़ने से योनि में पर्याप्त गीलापन आ जाता है और गर्भाशय थोड़ा बड़ा हो कर अपनी स्थिति बदल लेता है। रक्त के संचय से भगोष्ठ, भगशिश्न, योनिमुख आदि की त्वचा में लालिमा आ जाती है। 

2. उत्तेजना की पराकाष्ठा (Plateau)
दूसरी अवस्था उत्तेजना की पराकाष्ठा (Plateau) है । यह उत्तेजना की ही अगली स्थिति है जिसमें योनि (Vagina), भगशिश्न (Clitoris), भगोष्ठ (Labia) आदि में रक्त का संचय अधिकतम सीमा पर पहुँच जाता है, जैसे जैसे उत्तेजना बढ़ती जाती है योनि की सूजन तथा फैलाव, हृदयगति, पेशियों का तनाव बढ़ता जाता है। स्तन और बड़े हो जाते हैं, स्तनाग्रों (Nipples) का कड़ापन तनिक और बढ़ जाता है और गर्भाशय ज्यादा अंदर धंस जाता है। लेकिन ये परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमी गति से होते हैं।

3. चरम-आनंद (Orgasm)

तीसरी अवस्था चरम-आनंद (Orgasm) की है जिसमें योनि, उदर और गुदा की पेशियों का क्रमबद्ध लहर की लय में संकुचन होता है और प्रचंड आनंद की अनुभूति होती है। यह अवस्था अतितीव्र पर क्षणिक होती है। कई बार स्त्री को चरम-आनंद की अनुभूति भगशिश्न के उकसाव से होती है। कई स्त्रियों को बिना भगशिश्न को सहलाये चरम-आनंद की अनुभूति होती ही नहीं है। कुछ स्त्रियों को संभोग में गर्भाशय की ग्रीवा (Cervix) पर आघात होने पर गहरे चरम-आनंद की अनुभूति होती है। दूसरी ओर कुछ स्त्रियों को गर्भाशय की ग्रीवा पर आघात अप्रिय लगता है और संभोग के बाद भी एंठन रहती है। पुरुषों की भांति स्त्रियां चरम-आनंद के बाद भी पूर्णतः शिथिल नहीं पड़ती, और यदि उत्तेजना या संभोग जारी रहे तो स्त्रियां एक के बाद दूसरा फिर तीसरा इस तरह कई बार चरम-आनंद प्राप्त करती हैं। पहले चरम-आनंद के बाद अक्सर भगशिश्न की संवेदना और बढ़ जाती है और दबाव या घर्षण से दर्द भी होता है।

4. चरम-आनंद के पश्चात उत्तेजना का समापन (Resolution)
चरम-आनंद के पश्चात अंतिम अवस्था समापन (Resolution) है जिसमें योनि, भगशिश्न, भगोष्ट आदि में एकत्रित रक्त वापस लौट जाता है, स्तन व स्तनाग्र सामान्य अवस्था में आ जाते हैं और हृदयगति, रक्तचाप और श्वसन सामान्य हो जाता है। यानी सब कुछ पूर्व अवस्था में आ जाता है।



सभी स्त्रियों में उत्तेजना चक्र का अनुभव अलग-अलग तरीके से होता है, जैसे कुछ स्त्रियां उत्तेजना की अवस्था से बहुत जल्दी चरम-आनंद प्राप्त कर लेती हैं। दूसरी ओर कई स्त्रियां सामान्य अवस्था में आने के पहले कई बार उत्तेजना की पराकाष्ठा और चरम-आनंद की अवस्था में आगे-पीछे होती रहती हैं और कई बार चरम-आनंद प्राप्त करती हैं।


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